Saturday, 20 June 2015

बद्रीनाथ यात्रा एक अद्भुत एहसास

 बद्रीनाथ की यात्रा एक अद्भुत एहसास कराती है ,

बद्रीनाथ यात्रा  जोशीमठ के बाद सुगम होती है पर बहुत ही आनंदित यात्रा, मन को शांति सुकून मिलता है , गोबिन्द्घाट पांडूकेस्वर तक यात्रा बाजारों की रोनक बहुत ही उत्साह देती है,  जेसे हनुमान चट्टी से आगे बढ़ो तो आगे यात्रा में लगता है की मार्ग थोडा कठिन जरुर है पर बनाने वाले ने की खूबसूरती से इन जगहों के पहाड़ों को सजाया है, कल कल बहते झरने कल कल नदी की आवाजे ऐसी घुन्ज्ती हैं जेसे मनो यहाँ कोइ वासिन्दा तक नहीं रहता यहाँ की आबो हवा से आने के बाद अचानक इन रास्तों से गुजतरे हुए प्रकीर्ति का आवास होता है तब ये एहसास होता की वाकई में जिसे स्वर्ग कहते हैं देखा तो हमने भी नहीं है पर सिर्फ सुना हुआ है यहाँ आने से लगता है की वाकई में कही स्वर्ग है और यही है ,
 पहली बार आये हुए लोग जगह जगह बर्फ की बड़ी बड़ी चट्टानें देख किनारे गाड़ियों को रोके हुए और उस बर्फ की चट्टान के पास जाकर फोटो खिंच रहे हैं तो कोई बर्फ को हाथ से छु रहा है और किसी किसी को हाथ एक दम से अन्दर डालते हुए देखा तो पता लगा की उन्हें बर्फ पकडे हुए काफी टाइम हो गया और अब हाथ ठन्डे हो गए धीरे धीरे बद्रीनाथ की ओर बढे तो देखा की मार्ग पूरा पहाड़ी पर है पूरी सड़क चट्टान काट कर बनी हुई है आगे और चढ़ाई पर हमको जाना है जेसे जेसे हम लोग चढ़ाई पार किये तो एक स्थान आता है देवदर्शनी जहाँ से बद्रीनाथ सुरु हो जाता है और मंदिर बिलकुल ही साफ दिखाई देता है हालाँकि जरा दुरी होने के कारन इतना भी नहीं पर भक्तों को तो मंदिर के ही दर्शन बहुत हैं वहां से पूरी बद्रीपूरी दिखाई देती है गाड़ी से उस स्थान पर उतरो और हर तरफ नजर घुमाओ तो एक अलग सा एहसास होता है ठंडी ठंडी हवाएं चलती रहती हैं बद्रीनाथ में हवाएं बहुत ज्यादा चलती है फिर वहां से आगे आयें बद्रीनाथ के बाज़ार सजा हुआ रहता है धीरे धीरे निचे मंदिर की तरफ बढे बहुत ही सुन्दर सजा हुआ बाजार मिलता है आगे पुल पार कर निचे तप्त कुंड की तरफ बढे थोड़ी ठण्ड थी वो भी हमारी तप्तकुंड में नहाने से दूर हो गयी एकदम गर्म पानी बहुत ही जरुरी और उस स्थान पर फिर मंदिर दर्शन के लिए आदिकेदार के दर्शन किये फिर वहां से आगे बढ़ हम लोग मंदिर के अच्छे से दर्शन करने के बाद परिक्रमा कर बाहर निकलते हैं 

 बद्रीनाथ मंदिर के बहार जो प्रान्गड़ है हर कोई यहाँ पर आ कर फिर से बद्रीनाथ के मंदिर को निहारता है तो कोई अपनी फोटो यहाँ पर खींचता रहता है हर कोई यहाँ की यादों को संजोना चाहता है पर मंदिर प्रान्गड़ में भीड़ देख हम भी बढे आगे प्रान्गड़ की ओर तो देखा की वहां पर भजन कीर्तन हो रहा है जिसमे सभी यात्री यहाँ बेठे हुए कुछ नाच भी रहे हैं इन्हें देख हर कोई नाचने लग जायेगा हमारा भी बहुत मन किया इस भजन कीर्तन में मंदिर के भी सभी अधिकारी और सभी लोग भी मौजूद होते है और यात्रियों के नाचते गाते जय जय नारायण गाते रहते हैं रोजाना यहाँ ऐसा होता है बस रोज यात्री बदल जाते हैं जो लोग रोज बद्रीनाथ में रहते हैं उनका जीवन बहुत ही शांति पूर्ण रहता है यही धाम है जहाँ से स्वर्ग को जाते हैं यही से पितरों को मोक्ष मिलता है नारायण के धाम बद्रीनाथ से कमल नयन सिलोड़ी

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