भगवान् घंटाकर्ण बद्रीनाथ, माणा , पांडुकेस्वर , तक के क्षेत्रपाल हैं भगवान् घंटाकर्ण के कापट खुल गए हैं और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है
कौन हैं घंटा कर्ण इनका नाम क्यों घंटा कर्ण कहा जाता है ?
घंटा
कर्ण यक्ष थे और भगवान् शिव के परमभक्त थे और इनके कानो में हमेशा घंटी
बंधी हुई रहती थी और घंटा कर्ण जी भगवान् विष्णु का नाम न सुने इस लिए
उन्होंने अपने कानो में हमेशा घंटी बाँधी हुई रहती थी और भगवान् विष्णु से
नफरत करते थे इस लिए जब भी जहाँ भी भगवान् विष्णु का नाम सुनते तो अपने
कानो की घंटी बजा देते थे ताकि उन्हें भगवान् नारायण का नाम न सुनाई दे
इसीलिए इन्हें घंटाकर्ण कहा जाता है ,
केसे बने घंटा कर्ण नारायण भक्त ?
एक
बार घंटा कर्ण द्वारा भगवान् शिव से अपने मोक्ष का मार्ग पूछने पर शिव
भगवान् बताते हैं की मोक्ष के भगवान् भगवान् विष्णु (नारायण ) हैं तो घंटा
कर्ण द्वारा अपने विश्नुद्रोही होने का वर्तन्त शिव को बताते हैं शिव
द्वारा बताया जाता है की भगवान् नारायण परम दयालु व् अपने भक्त प्रिय हैं
जो व् सरणागत होता है उनका भगवान् उध्दार करते हैं इसे सुन घंटा कर्ण पुरे
भारत में द्वारका रामेस्वर्म गया कशी विस्वनाथ सहित अन्य सभी तीर्थों में
भगवान् नारायण को ढूंडते हैं अंत में वे हिमालय बद्र्कास्र्म की तरफ पहुचते
हैं कहा जाता है की जब वो बद्रीनाथ के पास देव्दार्शनी में पहुचते हैं तो
भगवान् बद्रीनाथ उनके स्वागत के लिए एक ब्रह्मण को उन्हें लेने भेजते हैं
पर घंटाकर्ण पहले भगवान् विश्नुद्रोही थे तो उन्होंने सोचा की ये ब्रह्मण
उसे बद्रीनाथ नहीं जाने देगा तो उन्होंने उस ब्रह्मण का सर काट भगवान्
विष्णु को खुस करने के लिए ले गया पर भगवान् विष्णु ने प्रकट होकर उन्हें
बताते हैं की क्रोध में आकर उन्होंने ब्रह्म हत्या कर डी है तब घंटा कर्ण
भगवान् बद्रीनाथ से कहते हैं की वो इसके पच्य्ताप के लिए अपनी गर्दन को
काटने की कोशिस करते हैं इस पर भगवान् बद्रीनाथ उन्हें रोक देते हैं और
कहते हैं की तुम यहाँ बद्रीनाथ में तपस्या करो और तब से भगवान् के मंदिर के
बायीं और बद्रीनाथ मंदिर के प्रान्गड़ में घंटा कर्ण तपस्या कर रहे हैं ,
केसे बने घंटा कर्ण क्षेत्र के क्षेत्र पाल ?
जब
घंटा कर्ण भगवान् नारायण की सरणागत होने के साथ साथ तपस्या कर पश्च्य्ताप
करने लगे तो भगवान् नारायण ने खुस होकर उन्हें इस पुरे बद्रिकस्र्म क्षेत्र
की रक्षा के लिए यहां के क्षेत्र पाल बनाया तब से लेकर आजतक माणा
पन्दुकेस्वर और बद्रीनाथ में क्षेत्र पाल के रूप में इनकी पूजा होती है और
जब भी भगवान् बद्रीनाथ की पूजा होती है तो घंटा कर्ण की भी पूजा होती है और
तब से आज तक इनका मंदिर माणा गाव में स्थित है जहाँ के कपट जून माह के
मध्य में खुलते हैं और इस अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पहुचते हैं ये गाव
भोटिया जनजाति के लोगों का गाव हैं और इस गाव के लोग अपने संस्कृति के साथ
इनकी पूजा अर्चना करते हैं इस अवसर पर पूरा गाव अपनी भेष भूषा में यहाँ
मौजूद रहते हैं ,
क्या मानते हैं लोग ?
आज
भी क्षेत्र के लोग बताते हैं की घंटा कर्ण की आवाजाही होती है उनका कहना
है की कभी सफ़ेद घोड़ों में बैठकर कभी मुकुट पहनकर लोगों को उनके दर्शन हुए
हैं और माणा गाव में कभी इनकी आवाजे भी सुनाई देती हैं ,
कमल नयन सिलोड़ि
Incredible experience in journey of uttarakhand divine.
ReplyDeleteNice blog to share every people is connect to each other.