Monday, 28 September 2015

जोशीमठ में फुलकोठ मेला शिव पार्वती का अद्धभुत मिलन।

अद्भुत आस्था परम्परा सभ्यता और संस्कृति का चतुष्कोणीय भव्य दर्शन । जोशीमठ में फुलकोठ , ब्रहम कमल के रूप में आते हैं शिव, पार्वती के रूप में माँ चंडिका अदभुत मिलन जोशीमठ के नरसिंह मंदिर और रविग्राम के चंडिका देवी मंदिर में यहाँ अर्धनारीश्वर अवतार ब्रहम कमल के रूप में मिलेंगे भगवान् शिव और माँ पार्वती यहाँ जो बुग्यालों से ब्रह्म कमल आते है उन्ही से यहाँ अर्धनारीश्वर अवतार बनाया जाता है, मंदिर में एक जगह जिसे कोठ कहा जाता है जिसमे बुग्याल से आये ब्रह्म कमल लगाये जाते हैं और प्राण प्रतिस्था कर उस कोठ और ब्रह्म कमल में अर्धनारीश्वर अवतार के रूप में ब्रहम कमल लगाये जाते हैं , यहाँ की परंपरा है जेसे ही प्राण प्रतिस्था कर भगवन को विराजमान किया जाता है वेसे ही गाव के 200 परिवारों के सभी लोग यहाँ मंदिर में दो दिनों तक घी के दिए जलाये रखते हैं इन दो दिन कोई भी गाव वाला सोता तक नहीं है मंदिर में ही चांचडी भजन कीर्तन करने में लगे होते हैं इस फुलकोठ से ही श्राद्ध पक्ष भी सुरु हो जाते हैं, इस फुल कोठ में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रहती है ,जोशीमठ के नरसिंह मंदिर और रविग्राम में मनाया जाता है फुलकोठ इसे फुल कोठ इस लिए काहा जाता है क्योंकि इस फुल कोठ से पहले दिन दोनों गाव से दो दो लोग पैदल नंगे पैर 3500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर जाते हैं और अगले दिन सुबह उठते ही नहाने के बाद ब्रह्म कमल बुग्यालों से निकाल के अपनी कनडियों में भरते हैं तत्पस्च्यात कनडीयां भर जाने के बाद ये लोग वापस अपने अपने गावं के लिए निकलते हैं जिस दिन ये लोग वापसी करते हैं उस दिन ये लोग सारे रास्ते भर कुछ भी नहीं खाते शाम को 9 बजे के आस पास ये लोग जोशीमठ अपने गाव पहुचते हैं, और जो ब्रह्म कमल का फुल ये लोग ले के आते हैं उन्हें मंदिर के कोठ में लगाया जाता है इसीलिए इसे फुल कोठ कहा जाता है

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