विश्व धरोहर फूलों की घाटी (the valley of flowers) विलुप्त होने के कगार पर ! फूलों की घाटी पर मंडरा रहा है खतरा, 250 प्रजाति के फुल हो चुके हैं विलुप्त !
क्या है फूलों की घाटी ....
87.5 वर्ग क्षेत्रफल मे फूलों घाटी की खोज 1931 मे प्रसिद्ध ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने की
थी। कॉमेट पर्वतारोहण के बाद रास्ता भटक कर वे यहां पहुंचे। यहां फूलों की
सौन्दर्य देख मंत्रमुग्ध हो गये। और कुछ दिन घाटी की हसीनवादियों मे
बिताये। उन्होने यहां से फूलों के सैंपल अपने साथ ले गये और वैली
ऑफ़ फ्लावर नाम से किताब लिखी। जिसने पूरी दुनिया मे तहलका मचाया। तभी से घाटी
को नयी पहचान मिली। प्रकृति की इस अनमोल खजाने से मारग्रेट लेगी मे अंतत प्रभावित थी। चार साल यहां बिता कर इसी प्रकृति मे विलिन हो गयी। घाटी की जैवविविधता के लिए पहचानी जाती है पुण्पावती नदी की कल-कल,झर-झर झरते झरने,फूलों की घाटी
सौन्दर्य अपने आप में बहुत खुबसूरत घाटी पर अब किसी की नजर लग गयी है जिस
कारन अब घाटी के दिन आने वाले समय में बहुत बुरे होने वाले हैं,
वैज्ञानिको ने क्यों जताई चिंता घाटी खत्म होने का अंदेशा ......
फूलो की घाटी में अपना ही एक फूल शूल बन गया है। यह फूल फूलों की घाटी इतनी तेजी से फैल रहा कि पार्क प्रशासन की इसकी रोकथाम की तमाम इंतज़ामात भी बौना साबित हो रही है। हम बात कर रहे फूलों की घाटी में सफेद रंग का फूल पॉलीगोनम की। जो सम्पूर्ण फूलों की घाटी की जैवविविधता के लिये खतरा बन गया है। नासूर बने इस झाड़ीनुमा फूल ने फूलों की घाटी के सैकड़ो प्रजाति के फूलो को खत्म कर अन्य प्रजाति के फूलो के अस्तित्व खतरे के जद मे है। इस पॉलीगोनम के घाटी मे विस्तार से घाटी की जैवविविधता पर ग्रहण लग गया है। घाटी मे जिस तेजी से पांव पसार रहा है। और लगभग आधी घाटी को अपना आगोश मे ले लिया है। इन दिनों फूलों की घाटी मे जिधर नजर दौड़ाओ उधर पॉलीगोनम के सफेद फूल नजर आ रहे है। फूलो की घाटी मे जिस तेजी से पॉलीगोनम का झाड़ीनुमा फूल फूलो की घाटी मे जिस तेजी से पांव पसार रहा है। वही बेज्ञानिकों का मानना है की पोलिगोनम को नहीं रोका गया तो वो दिन दूर नही जब फूलों की घाटी सिर्फ पॉलीगोनम की घाटी बनकर रह जाएगी ,
फूलों की घाटी में 250 से अधिक प्रजाति के फुल हो गए विलुप्त !
1982 में फूलों की घाटी को रास्ट्रीय पार्क बनाया गया गया और वर्ष 2005 में फूलों की घाटी को विस्वा धरोहर घोषित किया गया था लेकिन घाटी में 25 वर्षों में 250 से अधिक प्रजाति लुप्त हो गयी है विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 521 अलग अलग किस्म के फुल होते थे सभी फुल जुलाई और अगस्त इन 2 माह में यहाँ देखे जाते थे जिन्हें देखने विदेशी पर्यटको के साथ देशी पर्यटक भी आते थे लेकिन अब यहाँ 300 से भी कम किस्म के ही फुल देखने को मिल रहे हैं जिस कारन अब बेज्ञानिक भी चिंतित हैं और उनका कहना है की बहुत जल्द फूलों की घाटी विलुप्त हो जाएगी , हालाँकि पोलिगोनम को हटाने के लिए पार्क प्रसाशन द्वारा नेपालियों को लगाकर हटाने का कार्य किया जा रहा है लेकिन यह बेज्ञानिक तरीका नहीं है और उनका कहना है की इस तरह से पोलिगोनम बढेगा न की कम होगा ,
1982 तक केसे यहाँ 521 किस्म के फुल होते थे ?
वर्ष 1982 में रास्ट्रीय पार्क बनाने के बाद फूलों की घाटी में चरवाहों के जाने पर पाबन्दी लगा दी गयी चरवाहे यहाँ मई और जून में जाते थे और जून मध्य तक वापसी कर देते थे उस दौरान यहाँ मई और जून के महीने में भेड़ बकरी पोलिगोनम की घास को मई और जून में खा देते थे और जुलाई और अगस्त में यहाँ 521 किस्म फुल खिल जाते थे फूलों की लाइफ अधिक से अधिक 15 दिन की होती है 2 महीने में यहाँ 521 किस्म के फुल अपनी पूरी जिन्दगी जी लेते थे उसके बाद फिर से यहाँ पोलिगोनम होता था जो की अगली बार फिर भेड़ बकरी मई जून में साफ़ कर देती थी जिससे की यहाँ जुलाई अगस्त के महीने में फुल आसानी से खिल जाते थे लेकिन अब पार्क प्रसाशन जुलाई अगस्त में ही पोलिगोनम हटाने का कार्य कर रही है जिससे फूलों के खिलने के वक्त में ही यहाँ फूलों से अधिक पोलिगोनम खिल रहा है जिस कारण यहाँ साल दर साल फूलो की प्रजाति ख़तम हो रही है ,
क्या है पोलिगोनम ?
पोलिगोनम एक तरह की घास वाला फुल है जो की साल डर साल फूलों की घाटी में फ़ैल रहा है और इसके कारण घाटी में हर तरफ पोलिगोनम ही दिखाई दे रहा है और बाकि के फूल पोलिगोनम के कारन जमीन के अन्दर ही दम तोड़ रहे हैं फूलों की घाटी में दुनिया के अनेकों फूल की प्रजाति पायी जाती थी लेकिन अब पोलिगोनम के कारन 250 से अधिक प्रजाति अपना अस्तित्व खो चुकी है ,
फ्रैंक स्मिथ की खोजी हुई घाटी पोलिगोनम की घाटी में तब्दील हो गयी ,
1931 में जिस फूलों की घाटी की खोज फ्रैंक स्मिथ ने की थी वह आज नहीं रह गयी है घाटी तो है लेकिन फूलों की नहीं घास की घाटी में सुकुड कर रह गयी है फूलों की घाटी की सची तस्वीर आज देखि जा रही है हालाँकि पर्यटक यहाँ अनेक सपने देख फूलों का दीदार करने आते हैं लेकिन अब यहाँ फुल नहीं सिर्फ पोलिगोनम की घाटी रह गयी है ,
कमल नयन सिलोड़ी
जी
हा हम बात कर रहे हैं वर्ड हेरिटेज फूलों की घाटी की जहाँ धीरे धीरे फुल
विलुप्त हो रहे हैं हर वर्ष फूलों की प्रजाति गायब हो रही है हमेशा
प्रकीर्ति प्रेमियों की पसंद रहने वाली जगह फूलों की घाटी एक जबरदस्त
बीमारी से जूझ रही है , प्रकीर्ति प्रेमियों के लिए यह बहुत बुरी खबर है
लेकिन 1985 से फूलों की घाटी इस बीमारी से ग्रसित है अगर ऐसा ही रहा तो
बहुत जल्द फूलों की घाटी में फुल नहीं हमे सिर्फ घास मिलेगी और यहाँ आने
वाला पर्यटक फूलों को देखकर उत्साहित नहीं बल्कि घास देख कर खुद को ठगा हुआ ,महसूस करेगा ,
क्या है फूलों की घाटी ....
वैज्ञानिको ने क्यों जताई चिंता घाटी खत्म होने का अंदेशा ......
फूलो की घाटी में अपना ही एक फूल शूल बन गया है। यह फूल फूलों की घाटी इतनी तेजी से फैल रहा कि पार्क प्रशासन की इसकी रोकथाम की तमाम इंतज़ामात भी बौना साबित हो रही है। हम बात कर रहे फूलों की घाटी में सफेद रंग का फूल पॉलीगोनम की। जो सम्पूर्ण फूलों की घाटी की जैवविविधता के लिये खतरा बन गया है। नासूर बने इस झाड़ीनुमा फूल ने फूलों की घाटी के सैकड़ो प्रजाति के फूलो को खत्म कर अन्य प्रजाति के फूलो के अस्तित्व खतरे के जद मे है। इस पॉलीगोनम के घाटी मे विस्तार से घाटी की जैवविविधता पर ग्रहण लग गया है। घाटी मे जिस तेजी से पांव पसार रहा है। और लगभग आधी घाटी को अपना आगोश मे ले लिया है। इन दिनों फूलों की घाटी मे जिधर नजर दौड़ाओ उधर पॉलीगोनम के सफेद फूल नजर आ रहे है। फूलो की घाटी मे जिस तेजी से पॉलीगोनम का झाड़ीनुमा फूल फूलो की घाटी मे जिस तेजी से पांव पसार रहा है। वही बेज्ञानिकों का मानना है की पोलिगोनम को नहीं रोका गया तो वो दिन दूर नही जब फूलों की घाटी सिर्फ पॉलीगोनम की घाटी बनकर रह जाएगी ,
फूलों की घाटी में 250 से अधिक प्रजाति के फुल हो गए विलुप्त !
1982 में फूलों की घाटी को रास्ट्रीय पार्क बनाया गया गया और वर्ष 2005 में फूलों की घाटी को विस्वा धरोहर घोषित किया गया था लेकिन घाटी में 25 वर्षों में 250 से अधिक प्रजाति लुप्त हो गयी है विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 521 अलग अलग किस्म के फुल होते थे सभी फुल जुलाई और अगस्त इन 2 माह में यहाँ देखे जाते थे जिन्हें देखने विदेशी पर्यटको के साथ देशी पर्यटक भी आते थे लेकिन अब यहाँ 300 से भी कम किस्म के ही फुल देखने को मिल रहे हैं जिस कारन अब बेज्ञानिक भी चिंतित हैं और उनका कहना है की बहुत जल्द फूलों की घाटी विलुप्त हो जाएगी , हालाँकि पोलिगोनम को हटाने के लिए पार्क प्रसाशन द्वारा नेपालियों को लगाकर हटाने का कार्य किया जा रहा है लेकिन यह बेज्ञानिक तरीका नहीं है और उनका कहना है की इस तरह से पोलिगोनम बढेगा न की कम होगा ,
1982 तक केसे यहाँ 521 किस्म के फुल होते थे ?
वर्ष 1982 में रास्ट्रीय पार्क बनाने के बाद फूलों की घाटी में चरवाहों के जाने पर पाबन्दी लगा दी गयी चरवाहे यहाँ मई और जून में जाते थे और जून मध्य तक वापसी कर देते थे उस दौरान यहाँ मई और जून के महीने में भेड़ बकरी पोलिगोनम की घास को मई और जून में खा देते थे और जुलाई और अगस्त में यहाँ 521 किस्म फुल खिल जाते थे फूलों की लाइफ अधिक से अधिक 15 दिन की होती है 2 महीने में यहाँ 521 किस्म के फुल अपनी पूरी जिन्दगी जी लेते थे उसके बाद फिर से यहाँ पोलिगोनम होता था जो की अगली बार फिर भेड़ बकरी मई जून में साफ़ कर देती थी जिससे की यहाँ जुलाई अगस्त के महीने में फुल आसानी से खिल जाते थे लेकिन अब पार्क प्रसाशन जुलाई अगस्त में ही पोलिगोनम हटाने का कार्य कर रही है जिससे फूलों के खिलने के वक्त में ही यहाँ फूलों से अधिक पोलिगोनम खिल रहा है जिस कारण यहाँ साल दर साल फूलो की प्रजाति ख़तम हो रही है ,
क्या है पोलिगोनम ?
पोलिगोनम एक तरह की घास वाला फुल है जो की साल डर साल फूलों की घाटी में फ़ैल रहा है और इसके कारण घाटी में हर तरफ पोलिगोनम ही दिखाई दे रहा है और बाकि के फूल पोलिगोनम के कारन जमीन के अन्दर ही दम तोड़ रहे हैं फूलों की घाटी में दुनिया के अनेकों फूल की प्रजाति पायी जाती थी लेकिन अब पोलिगोनम के कारन 250 से अधिक प्रजाति अपना अस्तित्व खो चुकी है ,
फ्रैंक स्मिथ की खोजी हुई घाटी पोलिगोनम की घाटी में तब्दील हो गयी ,
1931 में जिस फूलों की घाटी की खोज फ्रैंक स्मिथ ने की थी वह आज नहीं रह गयी है घाटी तो है लेकिन फूलों की नहीं घास की घाटी में सुकुड कर रह गयी है फूलों की घाटी की सची तस्वीर आज देखि जा रही है हालाँकि पर्यटक यहाँ अनेक सपने देख फूलों का दीदार करने आते हैं लेकिन अब यहाँ फुल नहीं सिर्फ पोलिगोनम की घाटी रह गयी है ,
कमल नयन सिलोड़ी